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‘मुगलसराय’ का नाम सुनकर नेता झगड़ा क्यों करते हैं?

भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव 11 फरवरी 1968 को संदिग्ध हालत में मुगलसराय स्टेशन पर मिला था ।

UP Mughalsarai Railway Station to be renamed as Deen Dayal railway station आज की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश की बड़ी ख़बरें समाचार 

भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव 11 फरवरी 1968 को संदिग्ध हालत में मुगलसराय स्टेशन पर मिला था ।

उत्तर प्रदेश का एक रेलवे स्टेशन सियासत का अखाड़ा बन गया है। संसद से लेकर सड़क और स्टेशन तक इसके नाम पर घमासान हो रहा है ।मुगलसराय स्टेशन का नाम उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग जरूर जानते होंगे। योगी आदित्यनाथ की सरकार इस स्टेशन का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन रखना चाहती है।
विपक्ष का कहना है मुगलसराय ऐतिहासिक नाम है, इसलिए इसे बदलना नहीं चाहिए। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर दीन दयाल स्टेशन रखने का फैसला कर लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी इस फैसले पर मुहर लगा दी है। नियम के मुताबिक किसी स्टेशन या शहर का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार को केंद्रीय गृह मंत्रालय से इजाजत लेनी पड़ती है।
उत्तर प्रदेश की सरकार ने मुगलसराय के बड़े चौराहे पर दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा लगाने और उस चौराहे का नाम दीनदयाल चौक करने का फैसला भी कर लिया है। जब राज्यसभा में सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने मुद्दा उठाया तो  केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने जबाव दिया। नकवी ने कहा विपक्ष को मुगलों का नाम तो पसंद है, लेकिन एक राष्ट्रवादी दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर ऐतराज है।
बीजेपी इस साल पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष मना रही है ।भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव 11 फरवरी 1968 को संदिग्ध हालत में मुगलसराय स्टेशन पर मिला था । पुलिस उनके शव को लावारिस मान चुकी थी तभी स्टेशन पर कार्यरत कुछ रेलकर्मियों को शक हुआ कि ये पंडित दीनदयाल का शव है  इसकी सूचना मिलने के बाद सर संघचालक गोलवरकर और अटल बिहारी बाजपेयी मुगलसराय आए और दीनदयाल उपाध्याय के पार्थिव शरीर को लेकर दिल्ली गए, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया मुगलसराय के स्थानीय लोगों का कहना है कि मुगलसराय लाल बहादुर शास्त्री की जन्मस्थली है इसलिए इसका नाम उन पर होना चाहिए ।  योगी आदित्यनाथ सरकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय  के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पे लोगों तौफ़ा देना चाहती है । 
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